दतिया: कार्यक्रम में कृषि,उद्यानिकी,पशुपालन, आयुष, महिला एवं बाल विकास विभाग, अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने मौसम की वर्तमान परिस्थितियों में हो रहे बदलाव के कारण कृषि उत्पादन पर होने वाले प्रभावों एवं आगामी कार्य योजना हेतु परिचर्चा में सम्मिलित होकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के प्रमण्डल सदस्य अतुल शर्मा शामिल हुए, कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के प्रमुख डॉ. के राजन ने की। कार्यक्रम में केन्द्र प्रमुख डॉ. प्रशांत कुमार गुप्ता एवं वैज्ञानिक डॉ अवधेष सिंह का स्वागत प्रमण्डल सदस्य एवं अधिकारियों द्वारा किया गया। परिचर्चा के दौरान निकरा परियोजना के प्रभारी डॉ. ए.के. सिंह ने वर्तमान समय में दतिया जिले में बारिस की कमी एवं अधिकता को ध्यान में रखते हुये वर्षा जल के संरक्षण के उपाय एवं उसे खेती में उपयोग कर पैदावार बढ़ाने हेतु तकनीकियों के बारे में चर्चा की। डॉ. के राजन ने मृदा एवं जल संरक्षण के उपायों एवं उनकी अधिकाधिक उपयोग क्षमता बढाने पर परिचर्चा की। केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ रूपेष जैन ने बारिस के मौसम में पशुओं में आने वाली बीमारियों से बचाव संबन्धी चर्चा की। डॉ. नरेश गुप्ता ने प्राकृतिक खेती में फसल की गुणवत्ता बढाने हेतु प्राकृतिक अवयव जीवामृत को उपयोग करने पर जोर दिया। उप संचालक कृषि जीएस गोरख, उप संचालक पशुपालन जी दास, सहायक संचालक उद्यान एन.डी. श्रीवास्तव, बीज प्रमाणीकरण अधिकारी मनोज, महिला बाल विकास अधिकारी अरविंद उपाध्याय ने भी परिचर्चा में भाग लेकर अपने विभाग से संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दिये एवं कार्यक्रम विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजीव सिंह, स्वागत भाषण डॉ. एस.के. सिंह एवं आभार डॉ. विष्वनाथ सिंह कंसाना ने व्यक्त किया।
रिपोर्ट – शैलेंद्र सिंह बुंदेला