वन विभाग टीम द्वारा सियार पकड़ने के नाम पर महज केवल औपचारिकता भर निभाई गई।
झांसी के थाना टोड़ीफतेहपुर में नगर के मोहल्ला खदिया,फतेहपुर के लोग सियारो के हमलो से बड़े भयभीत है।सियार को पकड़ने के लिए वन विभाग गुरसरांय से आई टीम द्वारा केवल औपचारिकता भर की गई जबकि लोगो द्वारा एक सियार को तो उसी दिन ही मार डाला गया था कुछ सियार आज भी मौजूद है जिनको लेकर लोग बड़े खोफ में है।
गौरतलब रहे कि 15 सितम्बर को सुबह 6 बजे के लगभग बीरन आर्य पर सियार ने उस समय हमला कर जख्मी कर दिया था जब वह अपने खेत पर जा रहा था। दूसरा हमला सियार ने मुहल्ला फतेहपुर निवासी रामवती पत्नी काशीराम चौधरी(55) पर किया जो अपने नाती प्रिन्स के साथ दिन में 11 बजे के लगभग अपने खेत पर जा रही थी कि अचानक बाँस के झाड़ में से निकले सियार ने हमला कर दिया था गनीमत रही कि महिला हाथ मे डंडा लिए हुये थी जिससे वह अपना बचाव करती हुई चिल्लाई आवाज सुनकर एकत्रित हुये लोगो ने सियार को जान से मार डाला।
खेतो पर जा रहे महिला पुरुषों पर सियार अक्रमित होकर हमला कर रहे है जिससे किसान एवं अन्य लोग बड़े भयभीत है। स्थानीय लोगो द्वारा बताया गया कि कुछ सियार अभी भी मौजूद है जो मौका मिलते ही हमला कर देते है। वन विभाग गुरसरांय टीम द्वारा सियार पकड़ने के नाम पर केवल एक महज औपचारिकता भर निभाई गई।
वन विभाग टीम सियार पकड़ने के लिए तो आई थी और वो भी खाली हाथ उनके हाथों में एक डंडा तक नही था इससे प्रतीत होता है कि केवल कागजी खानापूर्ति भर करने के लिए वन विभाग की टीम टोड़ीफतेहपुर आई थी। वन विभाग टीम द्वारा मृत पड़े सियार का निरीक्षण तक नही किया गया कि वह सियार है कि भेड़िया या कोई अन्य जंगली जानवर एवं उस महिला तक से मुलाकात नही की जिसपर सियार द्वारा हमला किया गया था।
वन विभाग टीम किसी भी जंगली जानवर के पद चिन्ह न मिलने से यह स्पष्ठ नही कर सकी कि वह सियार था। बरसात के मौसम में घटना के कुछ दिन बाद खोजे जा रहे जंगली जानवरों के पद चिन्ह मिल पाना कैसे सम्भव है। जबकि मृत पड़े सियार के नजदीक तक नही गये। एवं सियार से सुरक्षा किये जाने के सम्बंध में भी लोग को कोई जानकारियां नही दी गई।
वनविभाग गुरसरांय रेंजर अवधेश प्रताप सिंह,डिप्टी रेन्जर देवेन्द्र सिंह,वन दरोगा भागीरथ कुशवाहा,लक्ष्मण सिंह यादव,कैलाश नारायण शुक्ला आदि वन विभाग के कर्मचारियो द्वारा आदमखोर सियार को पकड़ने के लिए टोड़ीफतेहपुर के मोहल्ला खदिया पहुँचे जहाँ सियार से जख्मी किसान वीरन आर्य से बातचीत कर उसका ईलाज कराने के लिए अपने साथ गुरसरांय ले गये।
वन विभाग गुरसरांय रेन्जर अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि जंगली जानवर के पद चिन्ह न मिलने के कारण यह स्पष्ठ नही है कि हमला सियार द्वारा किया गया था।